पत्रकारिता का क्षेत्र
आज हमारे जीवन में विविधता आ गयी है साथ ही संचार साधनों की भी बहुलता हो गयी है। इसने पत्रकारिता को भी बहुआयामी बना दिया है। जीवन जगत के हर क्षेत्र में आज पत्रकारिता की घुसपैठ है। उसका विस्तार हर ओर है।
आर्थिक पत्रकारिता – आर्थिक जगत से जुड़ी खबरें इसके तहत आती हैं। भारत में पत्रकारिता की शुरुआत व्यापारिक सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए ही हुई थी। 29 जनवरी 1780 को कलकत्ता से प्रकाशित होने वाले भारत के पहले अखबार हिक्की गजट ने अपने पत्र के उद्देष्य के विषय में लिखा था- राजनीतिक और व्यापारिक साप्ताहिक, सभी पार्टियों के लिए खुला है लेकिन किसी से प्रभावित नहीं है। इससे स्पष्ट है कि अखबार का उद्देश्य व्यापारिक गतिविधियों की सूचना देना भी था।
संसदीय पत्रकारिता- संसद के दोनों सदनों, प्रादेशिक विधान सभाओं, परिषदों की कार्यवाही की खबर इसके तहत आते हैं। संसदीय पत्रकारिता करते हुए काफी सावधानी बरती जाती है, ताकि अवमानना का कोई प्रश्न न उठे। अधिकतर अनुभवी पत्रकारों को ही यह जिम्मेदारी दी जाती है। संसद की पत्रकार दीर्घा में देश के प्रतिष्ठित पत्रकार मौजूद रहते हैं।
महिला पत्रकारिता – महिलाओं से संबंधित सूचना, शिक्षा, एवं मनोरंजन या उनके हित से जुड़ी कोई खबर महिला पत्रकारिता है। आज नारी जगत से संबंधित पत्र पत्रिकाएं हैं। अखबारों मे भी उनके लिए अलग से परिषिष्ट दिए जाते हैं। लेकिन अक्सर यह समय काटने या मनोरंजन का साधन ही बनकर रह जाता है। क्योंकि इनमें श्रृंगार, फैशन, घर सजाने, पतियों को खुश रखने की कला आदि पर ही जोर रहता है। लेकिन इन सबके अलावा विज्ञान, खेल, राजनीति, साहित्य आदि में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और उनसे संबंधित कुप्रथाओं, उनके उत्पीड़न, शोषण आदि की खबर रखना ही सही मायने में महिला पत्रकारिता है।
बाल पत्रकारिता – बच्चों से जुड़ी गतिविधिओं की पत्रकारिता बाल पत्रकारिता है। उनकी जिज्ञासाओं की शांति के लिए रंग बिरंगे मनोरंजक रूप में, उन्हीं की भाषा में पत्र पत्रिकाएं होनी चाहिए। बच्चों के लिए हमेशा से पत्रिकाएं निकलती रहीं हैं। बालक, सुमन सौरभ चंपक, नन्दन, चन्दामामा, पराग, बालभारती आदि कई पत्रिकाएं विभिन्न आयुवर्ग के बच्चों की रूचि को ध्यान में रखते हुए निकाली जाती रहीं हैं। लगभग सभी पत्र पत्रिकाओं में इनके लिए साप्ताहिक /मासिक परिशिष्ट निकाले जाते हैं।
स्वास्थ्य पत्रकारिता -जन स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे लोगों के लिए अहम होते हैं। स्वास्थ्य पत्रकारिता केवल मेडिकल की ही नहीं बल्कि मेडिको सोशल पत्रकारिता भी कही जाती है। यहो सिर्फ समाचार ही नहीं बल्कि विचार और पुनर्विचार का भी काफी महत्व होता है। स्वास्थ्य पत्रकारिता के लिए तकनीकी और सही जानकारी बहुत जरूरी है। चिकित्सा क्षेत्र की कोई भी अधूरी या गलत जानकारी जानलेवा या भयावह साबित हो सकती है।
खेल पत्रकारिता -खेल जगत में लोगो की रूचि रहती है। इसके अद्यतन जानकारी के लिए लोग मीडिया पर नजर गड़ाए रहते हैं। राष्ट्रीय- अन्तर्राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर के खेल और खिलाड़ियों की खबर देने के साथ साथ इस क्षेत्र में चल रहे पहल, परिवर्तन, वाद विवाद की खबर देना भी खेल पत्रकारों का काम है। यही नहीं खेल से जुड़े संगठनों आदि की खबर पर भी खेल पत्रकारों की नजर होती है। अधिकांश पत्र पत्रिकाओं में खेल के लिए अलग स्थान सुनिश्चित होता है।
विज्ञान पत्रकारिता – विज्ञान मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित करता है। इसलिए विज्ञान पत्रकारिता का क्षेत्र व्यापक हुआ है। लोगों के विकास से जुटकर यह पत्रकारिता मानव जीवन को उन्नत बनाने को प्रयासरत है। थल, जल और वायु और इसमे होने वाली नित नई खोजों, हलचलों की खबरें देना विज्ञान पत्रकारिता के तहत आता है।
कला, संस्कृति और साहित्यिक पत्रकारिता – कला संस्कृति और सहित्य जगत से जुड़ी खबरे इसके तहत आती हैं। साहित्य और पत्रकारिता का सबंध पुराना है। सभी मीडिया इनके लिए स्थान सुनिश्चित रखती है। मनोरंजन जगत के लिए ढेर सारी पत्र पत्रिकाएं निकलती हैं।
ग्राम्य पत्रकारिता – हमारा देश गांवों का देश कहा जाता है। गांव की और गांव के लिए खबर हमारे पूरे देश के लिए मायने रखता है। उनकी जरूरतों और विकास से जुड़े मुद्दे सबके लिए महत्वपूर्ण हैं। गांवो से जुड़ी खबरों की जरूरत के बावजूद आज के बाजारवाद में ग्राम्य पत्रकारिता का स्थान मीडिया में धीरे धीरे कम गया है।
राजनीतिक पत्रकारिता – हमारा देश लोकतंत्र है और इसका चौथा खंभा कहा जाता है पत्रकारिता। राजनीति से जुड़ी खबरें आम लोगों के लिए भी काफी मायने रखती हैं। आज मीडिया की घुसपैठ हर राजनीतिक दल में है। हर मीडिया हाउस में न सिर्फ राजनीति एक अलग बीट होता है, बल्कि बड़े प्रकाशनों में तो महत्वपूर्ण दलों के अलग अलग बीट होते हैं। इनसे जुड़ी खबरें देना और उससे जुड़ी बातों का विश्लेषण करना भी पालिटिकल रिपोर्टर का काम होता है।
भारत में विकास तथा गवर्नेंस का क्षेत्र हाल ही में एक नया उदाहरण बना है, जिसका मुख्य आधार नई नीतिगत व्यवस्था, परिवर्तित व्यवसाय परिवेश और सार्वभौमिकरण है। इन समसामयिक स्थितियों के कारण पत्रकारिता की प्रासंगिकता व्यापक रूप से बढ़ गई है। पत्रकारिता के बढ़ रहे महत्व को देखते हुए, कई मीडिया संस्थाएं शैक्षिक संस्थाएं और इलेक्ट्रॉनिक चैनल स्थापित किए गए हैं। मीडिया समाज तथा शासन का वास्तविक दर्पण बन गया है और जन-साधारण की समस्याओं उनकी मांगो को उठाने तथा उन्हें न्याय दिलाने का एक प्रभावी साधन (प्लेट फार्म) बन गया है।
बदलते परिवेश में प्रायः प्रत्येक करियर की संभावनाओं में आमूल परिवर्तन कर दिया है। पत्रकारिता में करियर एक प्रतिष्ठित व्यवसाय है और कुछ मामलों में एक उच्च वेतन देने वाला व्यवसाय है, जो युवाओं की बडी़ संख्या को आकर्षित कर रहा है। किसी भी राष्ट्र के विकास में पत्रकारिता एक अहम भूमिका निभाती है। पत्रकारिता ही वह साधन है, जिसके माध्यम से हमें समाज की दैनिक घटनाओं के बारे में सूचना प्राप्त होती है। वास्तव में पत्रकारिता का उद्देश्य जनता को सूचना देना, समझाना, शिक्षा देना और उन्हें प्रबुद्ध करना है।
पत्रकारों के लिए अवसर अनंत है। किंतु साथ ही साथ किसी भी पत्रकार का कार्य अधिक चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि नया विश्व, इस कहावत को चरितार्थ कर रहा है कि ‘‘कलम (और कैमरा) तलवार से कहीं अधिक प्रभावशाली है।’’ अब घटनाओं की मात्र साधारण रिपोर्ट देना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि रिपोर्टिंग में अधिक विशेषज्ञता और व्यावसायिकता होना आवश्यक है। यही कारण है कि पत्रकार समाचारपत्रों एवं आवधिक पत्र-पत्रिकाओं के लिए राजनीति शास्त्र, वित्त एवं अर्थशास्त्र, जाचं, संस्कृति एवं खेल जैसे विविध क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त करते हैं।
एक करियर के रूप में तीन ऐसे मुख्य क्षेत्र हैं जिनमें पत्रकारिता के इच्छुक व्यक्ति रोजगार ढूंढ़ सकते हैं:
• अनुसंधान एवं अध्यापन
• प्रिंट पत्रकारिता
• इलेक्ट्रॉनिक (श्रव्य/दृश्य) पत्रकारिता
अनुसंधान एवं अध्यापन: यद्यपि उच्च शिक्षा, पत्रकारों के लिए रोजगार का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, किंतु अनुसंधान भी पत्रकारिता में एक सामान्य करियर विकल्प है। पत्रकारिता में पी.एच.डी. प्राप्त व्यक्ति कॉलेजों विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थाओं में रोजगार तलाशते हैं। कई अध्यापन पदों पर विशेष रूप से विश्वविद्यालयों और संस्थानों में अनुसंधान कार्यकलाप अपेक्षित होते हैं। शैक्षिक छापाखानों का यह आधार है ‘‘प्रकाशित करो या नष्ट हो जाओ”। अधिकांश छापाखानों की तरह इसका भी एक सत्य और विरूपण है। यद्यपि यह निश्चित तौर पर सत्य है कि पुस्तकों अथवा लेखों को प्रकाशित करना कार्य - सुरक्षा तथा पदोन्नति का मुख्य मार्ग है और अधिकांश विश्वविद्यालयों में वेतन वृद्धि होती है, यह अपेक्षा ऐसी स्थापनाओं में अधिक लागू होती है जहां मूल छात्रवृत्ति को महत्व तथा समर्थन दिया जाता है। तथापि कई संस्थाएं उन्नति के एक प्रारंभिक मार्ग के रूप में अनुसंधान अथवा अध्यापन पर अधिक बल देती है। कुछ संस्थाएं एक पर दूसरे को महत्व देती हैं तो कई संस्थाओं का प्रयास अनुसंधान तथा अध्यापन के बीच अधिकतम संतुलन बनाए रखना रहा है।
इसके परिणामस्वरूप यद्यपि कुछ व्यवसायों में पत्रकारिता में कोई डिग्री विशेष रूप से अपेक्षित होती है, तथापि, ऐसा शैक्षिक प्रशिक्षण विविध प्रकार के व्यवसायों में जाने की एक महत्वपूर्ण योग्यता हो सकती है। पत्रकारिता में कला-स्नातक या मास्टर ऑफ आर्टस अथवा अनुसंधान (पीएच.डी.) डिग्रियों के लिए, गैर-लाभ भोगी क्षेत्र में, कोई विश्वविद्यालय, कोई संस्थान कोई व्यावसायिक या मीडिया फर्म रोजगार का क्षेत्र हो सकती है। कुछ ऐसे डिग्रीधारी स्व-रोजगार वाले होते हैं और अपनी निजी अनुसंधान अथवा परामर्श-फर्मों के प्रमुख होते हैं। तथापि, इस तथ्य पर बल दिया जाना चाहिए कि उनकी पद्धतियों तथा परिप्रेक्ष्यों को उपयोगिता देते हुए पत्रकारों ने उनके विकास में सहायता की है और वे ऐसे कई क्षेत्रों तथा करियर के पदों पर फैले हो जहां अनुसंधान का न केवल उपयोग किया जाता हो, बल्कि अनुसंधान कार्यों से भी कहीं आगे जाते हों।
प्रिंट पत्रकारिता: प्रिंट पत्रकारिता समाचार पत्रों पत्रिकाओं तथा दैनिक पत्रों के लिए समाचारों को एकत्र करने एवं उनके सम्पादन से संबद्ध हैं। समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं, वे बड़ी हों या छोटी, हमेशा विश्वभर में समाचारों तथा सूचना का मुख्य स्रोत रही हैं और लाखों व्यक्ति उन्हें प्रतिदिन पढ़ते हैं। कई वर्षों से प्रिंट पत्रकारिता बडे़ परिवर्तन की साक्षी रही है। आज समाचार-पत्र एवं पत्रिकाएं विविध विशेषज्ञतापूर्ण वर्गों जैसे राजनीतिक घटनाओं व्यवसाय समाचारों, सिनेमा, खेल, स्वास्थ्य तथा कई अन्य विषयों पर समाचार प्रकाशित करते हैं, जिनके लिए व्यावसायिक रूप से योग्य पत्रकारों की मांग होती है। प्रिंट पत्रकारिता में कोई भी व्यक्ति सम्पादक, संवाददाता, रिपोर्टर, आदि के रूप में कार्य कर सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता: इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता का विशेष रूप से प्रसारण के माध्यम से जन-समुदाय पर पर्याप्त प्रभाव है। दूरदर्शन, रेडियो, श्रव्य, दृश्य (ऑडियो, वीडियो) और वेब जैसे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने दूर -दराज के स्थानों में समाचार, मनोरंजन एवं सूचनाएं पहुंचाने का कार्य किया है। वेब में, कुशल व्यक्तियों को वेब समाचार पत्रों (जो केवल वेब की पूर्ति करते हैं और इनमें प्रिंट संस्करण नहीं होते और लोक प्रिय समाचारपत्रों तथा पत्रिकाओं को जिनके अपने वेब संस्करण होते हैं, साइट रखनी होती है। इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता में कोई भी व्यक्ति रिपोर्टर, लेखक, सम्पादक, अनुसंधानकर्ता, संवाददाता और एंकर बन सकता है।
पत्रकारिता के क्षेत्र में एक सफल करियर के रूप में किसी भी व्यक्ति को जिज्ञासु दृढ़ इच्छा शक्ति वाला, सूचना को वास्तविक, संक्षिप्त तथा प्रभावी रूप में प्रस्तुत करने की अभिरुचि रखने वाला, किसी के विचारों को सुव्यवस्थित करने तथा उन्हें भाषा तथा लिखित-दोनों रूपों में स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त करने में कुशल होना चाहिए। दबाव में कार्य करने के दौरान भी नम्र एवं शांत चित्त बने रहना एक अतिरिक्त योग्यता होती है। जीवन के सभी क्षेत्रों से व्यक्तियों का साक्षात्कार लेते समय पत्रकार को व्यावहारिक, आत्मविश्वासपूर्ण तथा सुनियोजित रहना चाहिए। उसे प्रासंगिक तथ्यों को अप्रासंगिक तथ्यों से अलग करने में सक्षम होना चाहिए। अनुसंधान तथा सूचना की व्याख्या करने के लिए विश्लेषण कुशलता होनी चाहिए।
यद्यपि स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम एवं अनुसंधान चलाने वाले कई विश्वविद्यालय तथा संस्थान हैं, उनमें कुछ निम्नलिखित हैं:-
• कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र
• बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी
• जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली
• भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली
• इंडियन नेशनल मास कम्युनिकेशन, नई दिल्ली
• सिम्बियोसिस पत्रकारिता एवं संचार संस्थान, पुणे
• पंजाब यूनिवर्सिटी विश्वविद्यालय, चंडीगढ़
(सूचना उदाहरण मात्र है)
पत्रकारिता में कोई पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद, कोई भी व्यक्ति किसी मीडिया अनुसंधान संस्थान या किसी सरकारी संगठन में एक अनुसंधान वैज्ञानिक बन सकता है। अनुसंधान कार्य के दौरान भी कोई व्यक्ति अन्य अनुदानों तथा सुविधाओं के अतिरिक्त, मासिक वृत्तिका प्राप्त कर सकता है। कोई भी व्यक्ति किसी समाचारपत्र में या इलेक्ट्रॉनिक चैनल में एक पत्रकार के रूप में कार्यग्रहण कर सकता है और अच्छा वेतन अर्जित कर सकता है।
आज हमारे जीवन में विविधता आ गयी है साथ ही संचार साधनों की भी बहुलता हो गयी है। इसने पत्रकारिता को भी बहुआयामी बना दिया है। जीवन जगत के हर क्षेत्र में आज पत्रकारिता की घुसपैठ है। उसका विस्तार हर ओर है।
आर्थिक पत्रकारिता – आर्थिक जगत से जुड़ी खबरें इसके तहत आती हैं। भारत में पत्रकारिता की शुरुआत व्यापारिक सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए ही हुई थी। 29 जनवरी 1780 को कलकत्ता से प्रकाशित होने वाले भारत के पहले अखबार हिक्की गजट ने अपने पत्र के उद्देष्य के विषय में लिखा था- राजनीतिक और व्यापारिक साप्ताहिक, सभी पार्टियों के लिए खुला है लेकिन किसी से प्रभावित नहीं है। इससे स्पष्ट है कि अखबार का उद्देश्य व्यापारिक गतिविधियों की सूचना देना भी था।
आज आर्थिक मुद्दे लोगों के जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। पाठक और दर्शक भी आर्थिक गतिविधियों संबंधित खबरों में अत्यंत रूचि लेते है। इसलिए न सिर्फ अंग्रेजी बल्कि हिंदी में भी आर्थिक परिशिष्टों का प्रकाशन हो रहा है। देश के विभिन्न भागों से आज इकोनाॅमिक टाईम्स, बिजिनेस इंडिया, बिजनेस टूडे, दलाल, आदि जैसे आर्थिक दैनिक, साप्ताहिक अथवा मासिक का प्रकाशन होता हैं। खासकर व्यापार जगत की खबरों के लिए टाइम्स नाउ , जी बिजनेस आदि समाचार चैनल हैं। इसके अलावा नियमित खबरों में चाहे वे प्रिंट मीडिया हो या इलेक्ट्रानिक सबमें आर्थिक जगत से जुड़ी खबरों के लिए विशेष स्थान होता है।अपराध पत्रकारिता- अपराध जगत से जुड़ी खबरों के बारे में लिखना अपराध पत्रकारिता के तहत आता है। जो पत्रकार पुलिस बीट, आपराधिक मामलों को देखता है क्राइम रिपोर्टर कहलाता है। हत्या, चोरी -डकैती, लूटपाट की घटनाओं की खबर अपराध पत्रकारिता के तहत आती है।
संसदीय पत्रकारिता- संसद के दोनों सदनों, प्रादेशिक विधान सभाओं, परिषदों की कार्यवाही की खबर इसके तहत आते हैं। संसदीय पत्रकारिता करते हुए काफी सावधानी बरती जाती है, ताकि अवमानना का कोई प्रश्न न उठे। अधिकतर अनुभवी पत्रकारों को ही यह जिम्मेदारी दी जाती है। संसद की पत्रकार दीर्घा में देश के प्रतिष्ठित पत्रकार मौजूद रहते हैं।
महिला पत्रकारिता – महिलाओं से संबंधित सूचना, शिक्षा, एवं मनोरंजन या उनके हित से जुड़ी कोई खबर महिला पत्रकारिता है। आज नारी जगत से संबंधित पत्र पत्रिकाएं हैं। अखबारों मे भी उनके लिए अलग से परिषिष्ट दिए जाते हैं। लेकिन अक्सर यह समय काटने या मनोरंजन का साधन ही बनकर रह जाता है। क्योंकि इनमें श्रृंगार, फैशन, घर सजाने, पतियों को खुश रखने की कला आदि पर ही जोर रहता है। लेकिन इन सबके अलावा विज्ञान, खेल, राजनीति, साहित्य आदि में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और उनसे संबंधित कुप्रथाओं, उनके उत्पीड़न, शोषण आदि की खबर रखना ही सही मायने में महिला पत्रकारिता है।
बाल पत्रकारिता – बच्चों से जुड़ी गतिविधिओं की पत्रकारिता बाल पत्रकारिता है। उनकी जिज्ञासाओं की शांति के लिए रंग बिरंगे मनोरंजक रूप में, उन्हीं की भाषा में पत्र पत्रिकाएं होनी चाहिए। बच्चों के लिए हमेशा से पत्रिकाएं निकलती रहीं हैं। बालक, सुमन सौरभ चंपक, नन्दन, चन्दामामा, पराग, बालभारती आदि कई पत्रिकाएं विभिन्न आयुवर्ग के बच्चों की रूचि को ध्यान में रखते हुए निकाली जाती रहीं हैं। लगभग सभी पत्र पत्रिकाओं में इनके लिए साप्ताहिक /मासिक परिशिष्ट निकाले जाते हैं।
स्वास्थ्य पत्रकारिता -जन स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे लोगों के लिए अहम होते हैं। स्वास्थ्य पत्रकारिता केवल मेडिकल की ही नहीं बल्कि मेडिको सोशल पत्रकारिता भी कही जाती है। यहो सिर्फ समाचार ही नहीं बल्कि विचार और पुनर्विचार का भी काफी महत्व होता है। स्वास्थ्य पत्रकारिता के लिए तकनीकी और सही जानकारी बहुत जरूरी है। चिकित्सा क्षेत्र की कोई भी अधूरी या गलत जानकारी जानलेवा या भयावह साबित हो सकती है।
खेल पत्रकारिता -खेल जगत में लोगो की रूचि रहती है। इसके अद्यतन जानकारी के लिए लोग मीडिया पर नजर गड़ाए रहते हैं। राष्ट्रीय- अन्तर्राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर के खेल और खिलाड़ियों की खबर देने के साथ साथ इस क्षेत्र में चल रहे पहल, परिवर्तन, वाद विवाद की खबर देना भी खेल पत्रकारों का काम है। यही नहीं खेल से जुड़े संगठनों आदि की खबर पर भी खेल पत्रकारों की नजर होती है। अधिकांश पत्र पत्रिकाओं में खेल के लिए अलग स्थान सुनिश्चित होता है।
विज्ञान पत्रकारिता – विज्ञान मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित करता है। इसलिए विज्ञान पत्रकारिता का क्षेत्र व्यापक हुआ है। लोगों के विकास से जुटकर यह पत्रकारिता मानव जीवन को उन्नत बनाने को प्रयासरत है। थल, जल और वायु और इसमे होने वाली नित नई खोजों, हलचलों की खबरें देना विज्ञान पत्रकारिता के तहत आता है।
कला, संस्कृति और साहित्यिक पत्रकारिता – कला संस्कृति और सहित्य जगत से जुड़ी खबरे इसके तहत आती हैं। साहित्य और पत्रकारिता का सबंध पुराना है। सभी मीडिया इनके लिए स्थान सुनिश्चित रखती है। मनोरंजन जगत के लिए ढेर सारी पत्र पत्रिकाएं निकलती हैं।
ग्राम्य पत्रकारिता – हमारा देश गांवों का देश कहा जाता है। गांव की और गांव के लिए खबर हमारे पूरे देश के लिए मायने रखता है। उनकी जरूरतों और विकास से जुड़े मुद्दे सबके लिए महत्वपूर्ण हैं। गांवो से जुड़ी खबरों की जरूरत के बावजूद आज के बाजारवाद में ग्राम्य पत्रकारिता का स्थान मीडिया में धीरे धीरे कम गया है।
राजनीतिक पत्रकारिता – हमारा देश लोकतंत्र है और इसका चौथा खंभा कहा जाता है पत्रकारिता। राजनीति से जुड़ी खबरें आम लोगों के लिए भी काफी मायने रखती हैं। आज मीडिया की घुसपैठ हर राजनीतिक दल में है। हर मीडिया हाउस में न सिर्फ राजनीति एक अलग बीट होता है, बल्कि बड़े प्रकाशनों में तो महत्वपूर्ण दलों के अलग अलग बीट होते हैं। इनसे जुड़ी खबरें देना और उससे जुड़ी बातों का विश्लेषण करना भी पालिटिकल रिपोर्टर का काम होता है।
भारत में विकास तथा गवर्नेंस का क्षेत्र हाल ही में एक नया उदाहरण बना है, जिसका मुख्य आधार नई नीतिगत व्यवस्था, परिवर्तित व्यवसाय परिवेश और सार्वभौमिकरण है। इन समसामयिक स्थितियों के कारण पत्रकारिता की प्रासंगिकता व्यापक रूप से बढ़ गई है। पत्रकारिता के बढ़ रहे महत्व को देखते हुए, कई मीडिया संस्थाएं शैक्षिक संस्थाएं और इलेक्ट्रॉनिक चैनल स्थापित किए गए हैं। मीडिया समाज तथा शासन का वास्तविक दर्पण बन गया है और जन-साधारण की समस्याओं उनकी मांगो को उठाने तथा उन्हें न्याय दिलाने का एक प्रभावी साधन (प्लेट फार्म) बन गया है।
बदलते परिवेश में प्रायः प्रत्येक करियर की संभावनाओं में आमूल परिवर्तन कर दिया है। पत्रकारिता में करियर एक प्रतिष्ठित व्यवसाय है और कुछ मामलों में एक उच्च वेतन देने वाला व्यवसाय है, जो युवाओं की बडी़ संख्या को आकर्षित कर रहा है। किसी भी राष्ट्र के विकास में पत्रकारिता एक अहम भूमिका निभाती है। पत्रकारिता ही वह साधन है, जिसके माध्यम से हमें समाज की दैनिक घटनाओं के बारे में सूचना प्राप्त होती है। वास्तव में पत्रकारिता का उद्देश्य जनता को सूचना देना, समझाना, शिक्षा देना और उन्हें प्रबुद्ध करना है।
पत्रकारों के लिए अवसर अनंत है। किंतु साथ ही साथ किसी भी पत्रकार का कार्य अधिक चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि नया विश्व, इस कहावत को चरितार्थ कर रहा है कि ‘‘कलम (और कैमरा) तलवार से कहीं अधिक प्रभावशाली है।’’ अब घटनाओं की मात्र साधारण रिपोर्ट देना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि रिपोर्टिंग में अधिक विशेषज्ञता और व्यावसायिकता होना आवश्यक है। यही कारण है कि पत्रकार समाचारपत्रों एवं आवधिक पत्र-पत्रिकाओं के लिए राजनीति शास्त्र, वित्त एवं अर्थशास्त्र, जाचं, संस्कृति एवं खेल जैसे विविध क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त करते हैं।
एक करियर के रूप में तीन ऐसे मुख्य क्षेत्र हैं जिनमें पत्रकारिता के इच्छुक व्यक्ति रोजगार ढूंढ़ सकते हैं:
• अनुसंधान एवं अध्यापन
• प्रिंट पत्रकारिता
• इलेक्ट्रॉनिक (श्रव्य/दृश्य) पत्रकारिता
अनुसंधान एवं अध्यापन: यद्यपि उच्च शिक्षा, पत्रकारों के लिए रोजगार का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, किंतु अनुसंधान भी पत्रकारिता में एक सामान्य करियर विकल्प है। पत्रकारिता में पी.एच.डी. प्राप्त व्यक्ति कॉलेजों विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थाओं में रोजगार तलाशते हैं। कई अध्यापन पदों पर विशेष रूप से विश्वविद्यालयों और संस्थानों में अनुसंधान कार्यकलाप अपेक्षित होते हैं। शैक्षिक छापाखानों का यह आधार है ‘‘प्रकाशित करो या नष्ट हो जाओ”। अधिकांश छापाखानों की तरह इसका भी एक सत्य और विरूपण है। यद्यपि यह निश्चित तौर पर सत्य है कि पुस्तकों अथवा लेखों को प्रकाशित करना कार्य - सुरक्षा तथा पदोन्नति का मुख्य मार्ग है और अधिकांश विश्वविद्यालयों में वेतन वृद्धि होती है, यह अपेक्षा ऐसी स्थापनाओं में अधिक लागू होती है जहां मूल छात्रवृत्ति को महत्व तथा समर्थन दिया जाता है। तथापि कई संस्थाएं उन्नति के एक प्रारंभिक मार्ग के रूप में अनुसंधान अथवा अध्यापन पर अधिक बल देती है। कुछ संस्थाएं एक पर दूसरे को महत्व देती हैं तो कई संस्थाओं का प्रयास अनुसंधान तथा अध्यापन के बीच अधिकतम संतुलन बनाए रखना रहा है।
इसके परिणामस्वरूप यद्यपि कुछ व्यवसायों में पत्रकारिता में कोई डिग्री विशेष रूप से अपेक्षित होती है, तथापि, ऐसा शैक्षिक प्रशिक्षण विविध प्रकार के व्यवसायों में जाने की एक महत्वपूर्ण योग्यता हो सकती है। पत्रकारिता में कला-स्नातक या मास्टर ऑफ आर्टस अथवा अनुसंधान (पीएच.डी.) डिग्रियों के लिए, गैर-लाभ भोगी क्षेत्र में, कोई विश्वविद्यालय, कोई संस्थान कोई व्यावसायिक या मीडिया फर्म रोजगार का क्षेत्र हो सकती है। कुछ ऐसे डिग्रीधारी स्व-रोजगार वाले होते हैं और अपनी निजी अनुसंधान अथवा परामर्श-फर्मों के प्रमुख होते हैं। तथापि, इस तथ्य पर बल दिया जाना चाहिए कि उनकी पद्धतियों तथा परिप्रेक्ष्यों को उपयोगिता देते हुए पत्रकारों ने उनके विकास में सहायता की है और वे ऐसे कई क्षेत्रों तथा करियर के पदों पर फैले हो जहां अनुसंधान का न केवल उपयोग किया जाता हो, बल्कि अनुसंधान कार्यों से भी कहीं आगे जाते हों।
प्रिंट पत्रकारिता: प्रिंट पत्रकारिता समाचार पत्रों पत्रिकाओं तथा दैनिक पत्रों के लिए समाचारों को एकत्र करने एवं उनके सम्पादन से संबद्ध हैं। समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं, वे बड़ी हों या छोटी, हमेशा विश्वभर में समाचारों तथा सूचना का मुख्य स्रोत रही हैं और लाखों व्यक्ति उन्हें प्रतिदिन पढ़ते हैं। कई वर्षों से प्रिंट पत्रकारिता बडे़ परिवर्तन की साक्षी रही है। आज समाचार-पत्र एवं पत्रिकाएं विविध विशेषज्ञतापूर्ण वर्गों जैसे राजनीतिक घटनाओं व्यवसाय समाचारों, सिनेमा, खेल, स्वास्थ्य तथा कई अन्य विषयों पर समाचार प्रकाशित करते हैं, जिनके लिए व्यावसायिक रूप से योग्य पत्रकारों की मांग होती है। प्रिंट पत्रकारिता में कोई भी व्यक्ति सम्पादक, संवाददाता, रिपोर्टर, आदि के रूप में कार्य कर सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता: इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता का विशेष रूप से प्रसारण के माध्यम से जन-समुदाय पर पर्याप्त प्रभाव है। दूरदर्शन, रेडियो, श्रव्य, दृश्य (ऑडियो, वीडियो) और वेब जैसे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने दूर -दराज के स्थानों में समाचार, मनोरंजन एवं सूचनाएं पहुंचाने का कार्य किया है। वेब में, कुशल व्यक्तियों को वेब समाचार पत्रों (जो केवल वेब की पूर्ति करते हैं और इनमें प्रिंट संस्करण नहीं होते और लोक प्रिय समाचारपत्रों तथा पत्रिकाओं को जिनके अपने वेब संस्करण होते हैं, साइट रखनी होती है। इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता में कोई भी व्यक्ति रिपोर्टर, लेखक, सम्पादक, अनुसंधानकर्ता, संवाददाता और एंकर बन सकता है।
व्यक्तिगत गुण/कौशल:
पत्रकारिता के क्षेत्र में एक सफल करियर के रूप में किसी भी व्यक्ति को जिज्ञासु दृढ़ इच्छा शक्ति वाला, सूचना को वास्तविक, संक्षिप्त तथा प्रभावी रूप में प्रस्तुत करने की अभिरुचि रखने वाला, किसी के विचारों को सुव्यवस्थित करने तथा उन्हें भाषा तथा लिखित-दोनों रूपों में स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त करने में कुशल होना चाहिए। दबाव में कार्य करने के दौरान भी नम्र एवं शांत चित्त बने रहना एक अतिरिक्त योग्यता होती है। जीवन के सभी क्षेत्रों से व्यक्तियों का साक्षात्कार लेते समय पत्रकार को व्यावहारिक, आत्मविश्वासपूर्ण तथा सुनियोजित रहना चाहिए। उसे प्रासंगिक तथ्यों को अप्रासंगिक तथ्यों से अलग करने में सक्षम होना चाहिए। अनुसंधान तथा सूचना की व्याख्या करने के लिए विश्लेषण कुशलता होनी चाहिए।
शिक्षा:
यद्यपि स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम एवं अनुसंधान चलाने वाले कई विश्वविद्यालय तथा संस्थान हैं, उनमें कुछ निम्नलिखित हैं:-
• कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र
• बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी
• जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली
• भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली
• इंडियन नेशनल मास कम्युनिकेशन, नई दिल्ली
• सिम्बियोसिस पत्रकारिता एवं संचार संस्थान, पुणे
• पंजाब यूनिवर्सिटी विश्वविद्यालय, चंडीगढ़
(सूचना उदाहरण मात्र है)
तैनाती:
पत्रकारिता में कोई पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद, कोई भी व्यक्ति किसी मीडिया अनुसंधान संस्थान या किसी सरकारी संगठन में एक अनुसंधान वैज्ञानिक बन सकता है। अनुसंधान कार्य के दौरान भी कोई व्यक्ति अन्य अनुदानों तथा सुविधाओं के अतिरिक्त, मासिक वृत्तिका प्राप्त कर सकता है। कोई भी व्यक्ति किसी समाचारपत्र में या इलेक्ट्रॉनिक चैनल में एक पत्रकार के रूप में कार्यग्रहण कर सकता है और अच्छा वेतन अर्जित कर सकता है।
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