SEARCH ON GOOGLE

लापरवाही से भी फैलाया कोरोना तो हो सकती है जेल, जानें क्या है बीमारी फैलाने पर लगने वाली IPC की धारा 269 और 270

लापरवाही से भी फैलाया कोरोना तो हो सकती है जेल, जानें क्या है बीमारी फैलाने पर लगने वाली IPC की धारा 269 और 270

Covid-19 news and prole suffering f. I. R
IPC-269, 270

चीन से फैले कोरोना ने भारत में अबतक एक हजार से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर दिया है और 25 लोगों की जान ले ली है। 22 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन का एलान कोरोना के खतरे का कम करने के लिए किया गया था लेकिन एक हफ्ते से कोरोना के बढ़ते मामलों में कोई कमी नहीं देखने को मिली है। भारतीय दंड सहिता की धारा 188, 269 और 270 के इस्तेमाल से देश में लॉकडाउन लगाया गया। हिमाचल प्रदेश के कांगरा की 63 वर्षीय महिला के खिलाफ आईपीसी (IPC) की धारा 270 के तहत तब मामला दर्ज किया गया जब प्रशासन को उसके दुबई से लौटने की खबर मिली। महिला ने अपनी ट्रेवल हिस्ट्री छुपाई थी और बाद में वह कोरोना से संक्रमित मिली। इसके अलावा कांगरा में ही एक 32 वर्षीय पुरुष के खिलाफ धारा 270 के तहत केस दर्ज किया गया।

ये शख्स भी सिंगापुर से लौटा था और इसकी जानकारी नहीं दी थी।

आईपीसी की धारा 270 किसी शख्स के वायरस या इंफेक्शन के जरिए दूसरे व्यक्ति की जान को जोखिम में डालने पर लगाई जाती है। इसी तरह पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश पुलिस ने बॉलीवुड गायिका कनिका कपूर के खिलाफ आईपीसी की धारा 270 के तहत मामला दर्ज किया था। कनिका कपूर पर आईपीसी की धारा 269 और 188 भी लगाई गई थी। कनिका कपूर लखनऊ में तीन पार्टियों में शामिल हुई थी, उन पार्टी में एक राजनैतिक नेता भी मौजूद थे, जिन्हें बाद में कोरोना के लक्षण मिले।

इसके अलावा कई उदाहरण और भी हैं जहां आईपीसी की धारा 269 और 270 के तहत लोगों को हिरासत में लिया गया। कोरोना जैसी महामारी पर रोक लगाने के लिए किए गए क्वारंटीन का उल्लंघन करने पर भी कुछ लोगों पर आईपीसी की ये धाराएं लगाई गई।

क्या है आईपीसी की धारा 269 और 270?
धारा 269 का अर्थ है, किसी बीमारी को फैलाने के लिए किया गया लापरवाही भरा काम जिससे किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है।
धारा 270 का अर्थ है, किसी बीमारी को फैलाने के लिए किया गया घातक या नुकसानदेह काम जिससे किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है।

ये दोनों धाराएं भारतीय दंड सहिता के अध्याय 14 के तहत आते हैं, जिसमें जनता के स्वास्थ्य, सुरक्षा, सुख, शिष्टाचार और नैतिकता पर असर डालने वाले अपराध शामिल है।

आईपीसी की धारा 269 के तहत अपराधी को छह महीने की जेल या जुर्माना या फिर दोनों मिलता है और धारा 270 के तहत दो साल की सजा या जुर्माना या फिर दोनों मिलता है। हालांकि दोनों धाराओं के सजा के प्रावधानों में ज्यादा अंतर नहीं है लेकिन धारा 270 में इस्तेमाल किया घातक या नुकसानदेह शब्द ये दर्शाता है कि आरोपी ने जानबूझकर कदम उठाया है।

पहले कभी इन धाराओं का इस्तेमाल हुआ?
साल 1886 में आईपीसी की इन धाराओं का इस्तेमाल किया गया था। तब मद्रास हाई कोर्ट ने एक शख्स को क्लोरा होने के बाबजूद ट्रेन से सफर करने के लिए धारा 269 के तहत दोषी करार किया था। इन धाराओं का इस्तेमाल चेचक और गिल्टी प्लेग के समय भी किया गया था।

Post a Comment

0 Comments