CONSUMER CASE -कंस्यूमर केस करते वक्त क्या करे ताकि समस्या आपको ना हो |
ऑनलाइन केस करते वक्त आप ऑडियो ,वीडियो सबूत भी भेज नहीं पाते क्यूंकि ऑनलाइन उसको सपोर्ट नहीं करता इसलिए इस डिजिटल सेवा का अभी तक तो कोई फ़ाएदा नहीं। ..
पहले केस कितने अमाउंट का है ये देखिये पांच लाख तक के केस फ्री है जबकि करोड़ के केस फाइल होने में ज्यादा फ़ीस लगती जोकि अधिकतम मूल्य 5,000 रुपया तक ही है
इसलिए केस आप फ्री लीगल ऐड की सहायता से भी बिना समस्या से फ्रंट ऐड में जाकर सहायता लेकर केस तुरंत फाइल कर सकते है |
इसके लिए आपको केस के लिए पांच लाख से ऊपर के केस हो तो 100 रुपया का डिमांड ड्राफ्ट और एक करोड़ तक के केस में 500 रुपया का डिमांड ड्राफ्ट बैंक से बनता है अर्थात ज्यादा डिमांड ड्राफ्ट और फीस नहीं ली जाती कंस्यूमर केस में इसलिए बिना डरे ,घबराये केस करे |
नोट -सबसे पहले केस डिस्ट्रीक्ट कोर्ट में नजदीकी करना होता है आप सीधा हाई कोर्ट ,सुप्रीम कोर्ट में नहीं कर सकते लेकिन डिस्ट्रिक्ट में आपका काम ना बने तो एक महीने के अंदर केस के बाद आप हाई कोर्ट में ,फिर उसके खत्म होने के बाद भी काम ना बने तो एक 30 दिन अर्थात 1 महीने बाद आप केस सुप्रीम कोर्ट में कर सकते खुद के प्राइवेट वकील की सहायता से या फ्रंट ऐड के फ्री वकील की सहायता से |
ध्यान योग्य कुछ जानकारियां :-
- पहले एविडेंस के सर्विस की डॉक्यूमेंट कॉपी ले नाकि ओरिजिनल दे |
- एविडेंस के लिए सर्विस का इनवॉइस आदि दे |
- कब-कब क्या क्या समस्या हुयी किस तरह कितनी बार ये सब विवरण भी दे |
- केस करते वक्त 5 कॉपी बनाये एक वकील की दूसरी कोर्ट के लिए तीसरा एविडेंस के लिए चौथा केस में सेफ्टी के लिए दी जाती पांचवी आप खुद के पास रखे ताकि कभी भी ओरिजिनल आपको ना देनी पड़े कभी और आपके सब सबूत महफूज रहे कम से कम ३ कॉपी तो करवाए ही जोकि वकील,कोर्ट आदि में दी जाती |
- कंस्यूमर केस करते वक्त आपको प्रॉब्लम ना हो इसलिए अपने वकील से अच्छे रिश्ते बनाये रखे ताकि फ़ोन पर ही केस की सुचना आपको मिलती रहरे समय पर |
- कंस्यूमर केस में आपके पास उसका बिल ना हो तो इनवॉइस नंबर जैसे की कंपनी से ही आपने फ़ोन
- आदि सी करवाया तो जैसे की रेडमी का फ़ोन आपके उन्ही के सर्विस सेण्टर से करवाया तो भी ये एविडेंस लेकर आप केस कर सकते है
दो साल के भीतर आप केस काफी आसानी से कर सकते है क्यूंकि दो-साल की अवधि में किये केस जल्दी निपटाए जाते है कोर्ट में लेकिन यदि आपके पास कोई सॉलिड वजह हो तो आप उसे एविडेंस के साथ रीज़न के तौर पर अटैच कर आप दो-साल बाद भी केस कर सकते है और ये दिया गया रीज़न काफी होगा कोर्ट में आपको केस लड़ने के लिए
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