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जंहा से शिक्षा ले रहे है वह स्थान कोई बड़ी हस्ती से जुड़ा हो, वह ब्रांडेड हो, कोई महंगी फीस लेता हैं या नहीं ये सब मतलब नहीं रखता "महंगा रोये एक बार सस्ता रोए बार-बार"
कई बार लुटेरे संस्थान इसी तकनीक से बुद्दू बनाकर लुटते है जोकि लूटने की आज की नई तकनीक है।
जब जॉब का समय आता है तब काबिलियत, आपका आत्म-विश्वास, आपकी विकास ही मान्य रखता हैं
इसलिए शिक्षा वंहा से ले जंहा आपका आत्म-विश्वाश, हुनर, आपका विकास हो चाहे वह गवर्नमेंट, प्राइवेट स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, इंस्टीटूट, संस्थान कुछ भी हो जब ज़िन्दगी में आपके हुनर, विकास की कद्र होगी तो ये महंगे ब्रांड और इंस्टीटूशन्स मतलब नहीं रखते है ज़िन्दगी में, चाहे आपकी करियर बनाने, जिंदगी-जीने, जॉब या ज़िन्दगी का कोई भी पड़ाव हो वंहा आपके ब्रांडेड स्कूल, इंस्टिट्यूट आदि कुछ भी वैल्युएबल नहीं होगा...
कीमती होगा तो आपने कितना विकास किया अपने जीवन में, क्या हुनर हैं आपके पास, कितना आत्म-विश्वास हैं आपमें कि कल नकरात्मक स्थिति में भी आपको डरा-धमका कर आपको रोक या आपको हराने का कोई दम नहीं रखता हो...
कृपया सोचियेगा एक बार ज़रूर हैं आपको ये सब आत्म-विश्वाश, हुनर, आपका खुश जीवन-जीने के लिए व्यवहारिक ज्ञान, आपकी छुपी स्किल्स को उभारने का ज्ञान आदि सब ब्रांड, महंगे इंस्टीटूशन, स्कूल ने दिया था या नहीं...
यदि नहीं है तो क्या महंगे इंस्टिट्यूट, स्कूल ने केवल आपसे फीस ही लेने से मतलब रखा और बदले में आपको बुद्दू बना कुछ भी कीमती नहीं दिया जोकि कल आपके कीमती निवेश की निशानी बने इस तरह आये साल दिखावे के लिए क्या हम समय-धन-अपना हुनर बर्बाद नहीं करते क्या?
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इतना समय, पैसा-निवेश वही करे जंहा कल जब आप पास-आउट हो तो आपके पास हुनर, आत्म-विश्वाश सब हो नाकि सिर्फ़ एक डिग्री का निशान, सर्टिफिकेट जोकि आपको महंगे इंस्टिट्यूट में इतने पैसे-समय देने के बाद बस निशानी के तौर पर मिला और इसलिए आलावा दो-दिन की वाहवाही पर ज़िन्दगी में कुछ कर दिखाने के लिए कुछ भी निशानी-ज्ञान कुछ नहीं मिला, मिला तो बस एक ब्रांडेड सर्टिफिकेट।
जरा सोचिये आप फीस ही दिए जा रहे हैं वैसे फीस गवर्नमेंट कॉलेज, स्कूल, इंस्टिट्यूट, यूनिवर्सिटी आदि भी लेते लेकिन कम फीस ली जाती और जॉब के दौरान आपके कॉलेज आदि का नाम नहीं लिया जाता वंहा आपके काम, स्किल्स आदि की कद्र होती नाकि ब्रांडेड जगह, संस्थान जंहा महंगी फीस भी दी लेकिन प्लेसमेंट कुछ चुनिंदा बच्चो की। होती है अक्सर नाकि ... यदि सब सीखना-पढ़ना हम पर ही निर्भर करता फिर क्यों चिंता करे की हमारा एडमिशन कँहा हुआ, चिंता तो इस बात की हैं कि हमे बदले में वंहा से एक ऐसा माहौल मिलेगा या नहीं जंहा टीचर्स सपोर्टिंग हो, जंहा छोटी-छोटी बात पर नीचा दिखाना और रैगिंग ना हो...
उदाहरण-अक्सर हम एडमिशन लेते और हमें कुछ भी नहीं आता होता, ना ही इंग्लिश, ड्राइंग, कंप्यूटर आदि किसी भी ज्ञान से हम वाकिफ नहीं होते लेकिन एक ऐसा सपोर्टिंग माहौल जंहा टीचर और आपके क्लास-मेट आपको सिखने में मदद करते हो जिस कारण आप वह सब सीखते है जो बड़ी जगह पर आप नहीं सिख पाते लेकिन एक सही माहौल से आप वह सब आसानी से सीख पाते हैं...
इसलिए सही माहौल का चुनाव करे ना की शानो-शौकत, दुनिया की बाते और ब्रांडेड जगह के चक्कर में अपनी जिंदगी, हुनर, विकास, करियर खराब करें क्योंकि दो दिन की चांदनी में पूरी ज़िन्दगी नर्क ना बनाये और दुनिया के चक्कर में पड़ने से अच्छा हैं कि दिमाग से सही जगह, संस्थान, माहौल का चुनाव करे क्योंकि बीते बुरे पल, गवांया समय कभी सही नहीं किया जा सकता और नहीं बिता पल लाया जा सकता।
समय ही धन है ये हमेशा ध्यान रखे जोकि सही से कमाया जाए तो आपकी कमजोर स्थिति में आपके पक्के मित्र की तरह आपके अवश्य काम आएगा और ज़िन्दगी खुशहाल बनाएगा।
इस आर्टिकल पर आपके कीमती विचार, आपकी राय ज़रूर कमेंट करे।
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