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Life is not a game who give more chance

जिंदगी में कई पल काफी यादगार रहते हैं जीवनभर और जबकि हमने सिर्फ वंहा 9 महीने ही बताये हो जाने -अनजाने उस जगह लोगो से प्यार होना स्वाभाविक हैं....

लेकिन कभी-कभार बड़ी जगह सिटी, यूनिवर्सिटी भी वो अच्छी यादे नहीं दे पाती जो आत्म-विश्वास हम उस छोटी यूनिवर्सिटी और जगह से मिला यही फ़र्क हैं नरक -स्वर्ग
जीने को जगह-रास्ता सही मिले वही स्वर्ग और जंहा दुखों का जीवन मिले वही नर्क हैं चाहे वंहा सालों बीतालो पर उस जैसे सुहाने पल नहीं मिलते जोकि उस एक आम सी छोटी जगह से मिले.....

जीवन जीना हो तो बड़ी-छोटी चीज नहीं वो अहसास चाहिए जंहा मन खुश और जंवा रहे नहीं तो लोग आग जले नर्क में भी जीवन मजबूरन जीते ही हैं
जियो वंहा जंहा आप मन से जिएँ ना की सिर्फ आपका तन हो वंहा...

जिंदगी छोटी हैं क्यूंकि इसके अंक ज्यादे है जिनमे मजबूरियों का और जिम्मेदारियों को हमे संभालना है...
जीने को तो कम ही अंक मिलते जब आप आजाद-खुल कर जीते हैं....

जितना जिए ऐसे जिए कल किसी बात का गम -पछतावा ना रहे मन -तन -जीवन में कभी भी, जिंदगी है तभी जब आप जिये नहीं तो हड्डी और मांस की मशीन....

जिंदगी में तनाव, डिप्रेशन, चिंता सब होगी लेकिन उद्देस्य  भी पूरा करे ताकि कल या आज कभी भी आप हारा और पछतावे भरा जीवन जीने को मजबूर ना होये जिंदगी पर सिर्फ अपना खुद का हक हैं क्यूंकि खुद को बेहतर जानने के लिए हम दिन मेहनत करते है इसलिए बिना दवाब और चिंता-मुक्त जीवन जिए...लेकिन कभी-कभी सलाह लें पर करें वही जिसका आपको पछतावा और कभी भी उस निर्णय से रोना या दुःख मनाना ना पड़े |


 




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