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Career In Corporate Law: जानिए कॉर्पोरेट लॉ में करियर की संभावनाएं, विकल्प और सैलरी
Career In Corporate Law : अगर आप कानून के क्षेत्र में करियर बनाना चाहते है तो कॉर्पोरेट लॉ आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकता है। आपको बता दें कि भारत में कानून के क्षेत्र में करियर बनाने की छवि को पारंपरिक तरीके से काला कोट पहनकर वकालत करना ही माना जाता रहा है। लेकिन पिछले एक दशक से कानून के पेशे में जबरदस्त बदलाव आया है। खासकर कॉर्पोरेट लॉ के रूप में एक नया विकल्प हमारे सामने बनकर उभरा है। आज भारत में कई बहुराष्ट्रीय और छोटी-बड़ी कंपनियां बिजनेस करना चाहती है, इन कंपनियों को अपने कानूनी दांवपेज के लिए कॉर्पोरेट लॉयर की जरूरत पड़ती है। अगर आप कॉर्पोरेट लॉ की फील्ड में करियर बनाना चाहते है तो आज हम आपके लिए लेकर आए है कॉर्पोरेट लॉ से जुड़ी सभी जानकारियां। तो आइये जानते है कॉर्पोरेट लॉ में करियर की संभावनाएं, विकल्प और सैलरी के बारे में-
एक कॉर्पोरेट लॉयर का वर्क प्रोफाइल-
कॉर्पोरेट लॉयर का काम कंपनियों को कानूनी सलाह देने का काम होता है। किसी भी कंपनी को शुरू करने से लेकर उसको सफलता पूर्वक चलाने तक कंपनी को कई कानूनी प्रोसेस से गुजरना पड़ता है। इन कानूनी कार्यवाही के लिए कंपनियां कॉर्पोरेट लॉयर को रखती है। एक कॉर्पोरेट लॉयर कंपनियों या कॉर्पोरेट ग्रुप को उनके कानूनी अधिकारों और सीमाओं के बारे में जरूरी सलाह देने का काम करते है। इसके साथ ही कॉर्पोरेट लॉयर अपने क्लाइंट्स को कानूनी तरीके से कारोबार करने में मदद करते है। इसके अलावा एक कॉर्पोरेट लॉयर को सरकारी संस्थाओं और विभागों की ओर से समय-समय पर बनाए गए या संशोधित किए गए कानूनों की पूरी जानकारी रखना होता है और इन नए कानूनों के मुताबिक कॉर्पोरेट में समय पर सही बदलाव करने के लिए जरूरी सलाह देना होता है।
कॉर्पोरेट लॉ में करियर बनाने के लिए योग्यता-
अगर आप कॉर्पोरेट लॉ में करियर बनाना चाहते है तो 12वीं पास करने के बाद बीए एलएलबी या बीबीए एलएलबी कर सकते है इसके अलावा अब कॉर्पोरेट लॉ में एमबीए भी होता है आप वो भी कर सकते है। इसके अलावा अगर आप मास्टर्स के रूप में एलएलएम करते है तो भी आप आसानी से कॉर्पोरेट लॉ की फील्ड में आ सकते है। अगर आप एक प्रोफेशनल वकील के रूप में कार्य कर रहे है तो आप भी कॉर्पोरेट सेक्टर में करियर बना सकते है।
कॉर्पोरेट लॉ में स्कोप-
मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी कई योजनाओं की बदौलत हमारे देश में लगातार नई-नई कंपनियां खुल रही है इन नई कंपनियों को कई कानूनी प्रोसेस गुजरना होता है जिससे ये लोग कॉर्पोरेट लॉयर को हायर करते है। इसके अलावा हर रोज नए स्टार्टअप खुल रहे है जिससे भी इस क्षेत्र में कॉर्पोरेट लॉयर की काफी मांग बढ़ गई है। एक अनुमान के मुताबिक ये भी बताया जा रहा है कि कॉर्पोरेट सेक्टर में लगातार बढ़ती मांग के चलते भारतीय फर्म पिछले साल से दोगुनी संख्या में वकीलों को नौकरी देने जा रही है। अगर भविष्य के हिसाब से देखा जाएं तो कॉर्पोरेट लॉ के क्षेत्र में आने वाले समय में न सिर्फ ढेर सारी जॉब्स होंगी बल्कि कॉर्पोरेट हाउसेस की तरफ से अच्छी खासी सैलरी भी मिलेगी।
सैलरी-
कई विदेशी कानूनी फर्मों के भारत में आने से इस सेक्टर में सैलरी सेगमेंट में अब काफी बदलाव देखने को मिल रहे है। इस फील्ड में शुरूआती तौर पर मिलने वाली सैलरी में 10 से 15 फिसदी की बढ़ोतरी देखी जा रही है। वहीं कुछ सालों के एक्सपीरियंस के बाद इस फील्ड में 35 से 90 फीसदी तक सैलरी बढ़ जाती है। एक लीगल सेल के प्रमुख की सैलरी देखी जाएं तो अब यह बढ़कर 1 करोड़ 80 लाख से 2 करोड़ 30 लाख रूपये सालाना तक हो गई है। सैलरी के मामले में कॉर्पोरेट लॉ में पैसों की कमी नही है। एक बार इस फील्ड में आने के बाद आप अपने टैलेंट से अच्छा पैसा कमा सकते है।
कानूनी दांव-पेंच की समझ रखने वालों के लिए करियर
भारत में वकीलों की पारंपरिक छवि घर में एक छोटे से दफ्तर या कोर्ट के नजदीक बड़े से हॉल के अंदर भीड़ भरे क्यूबिकल्स में बैठकर प्रैक्टिस करने वाले पेशेवरों की रही है. बीते एक दशक में खासकर कॉरपोरेट लॉ के मामले वकालत के पेशे में जबरदस्त बदलाव आया है.
क्या होता है इनका काम:
कॉरपोरेट्स लॉयर, कॉरपोरेशंस को उनके कानूनी अधिकारों और सीमाओं के बारे में सलाह देते हैं. करोड़ों के मामलों के चलते पूरा गेम ही बदल गया है और कॉरपोरेट लॉ एक व्यापक व आकर्षक करियर बन गया है. कॉरपोरेट लॉयर अपने क्लाइंट्स को कानूनी तरीके से कारोबार करने में मदद करता है. उसकी जिम्मेदारी नई फर्म के लिए शुरुआती दस्तावेज तैयार करने से लेकर कॉरपोरेट रीऑर्गनाइजेशन करने तक की रहती है.
कॉरपोरेट्स लॉयर, कॉरपोरेशंस को उनके कानूनी अधिकारों और सीमाओं के बारे में सलाह देते हैं. करोड़ों के मामलों के चलते पूरा गेम ही बदल गया है और कॉरपोरेट लॉ एक व्यापक व आकर्षक करियर बन गया है. कॉरपोरेट लॉयर अपने क्लाइंट्स को कानूनी तरीके से कारोबार करने में मदद करता है. उसकी जिम्मेदारी नई फर्म के लिए शुरुआती दस्तावेज तैयार करने से लेकर कॉरपोरेट रीऑर्गनाइजेशन करने तक की रहती है.
योग्यता:
कॉरपोरेट लॉयर को किसी भी सरकारी संस्था या विभागों की ओर से समय-समय पर बनाए या संशोधित किए जाने वाले कानूनों की पूरी जानकारी होनी चाहिए.
कॉरपोरेट लॉयर को किसी भी सरकारी संस्था या विभागों की ओर से समय-समय पर बनाए या संशोधित किए जाने वाले कानूनों की पूरी जानकारी होनी चाहिए.
स्कोप:
चूंकि कंपनियां लीगल को अपने कारोबार के कोर स्ट्रेटेजिक फैक्टर के रूप में हैं, इसलिए स्वतंत्र वकीलों और इन-हाउस लीगल टीम की मांग लगातार बढ़ी है. रोजगार के बाजार में वकीलों की मांग अचानक बहुत तेजी से बढ़ी है. एक अनुमान के मुताबिक भारतीय फर्म पिछले साल से दोगुनी संख्या में वकीलों को नौकरी पर रखेंगी. मांग न केवल सीनियर पोजीशन पर बढ़ी है, बल्कि एंट्री लेवल पर भी बढ़ी है.
चूंकि कंपनियां लीगल को अपने कारोबार के कोर स्ट्रेटेजिक फैक्टर के रूप में हैं, इसलिए स्वतंत्र वकीलों और इन-हाउस लीगल टीम की मांग लगातार बढ़ी है. रोजगार के बाजार में वकीलों की मांग अचानक बहुत तेजी से बढ़ी है. एक अनुमान के मुताबिक भारतीय फर्म पिछले साल से दोगुनी संख्या में वकीलों को नौकरी पर रखेंगी. मांग न केवल सीनियर पोजीशन पर बढ़ी है, बल्कि एंट्री लेवल पर भी बढ़ी है.
सैलरी :
विदेशी कानूनी फर्मों के भारत में आने से सैलरी का ग्राफ भी काफी ऊपर चला गया है. कैंपस रिक्रूटमेंट में ऑफर की जाने वाली सैलरी भी 10 से 15 फीसदी बढ़ी है. जिनके पास 3 से 8 साल का अनुभव है, उनके मामलों में तो यह बढ़ोत्तरी 35 से 100 फीसदी के बीच हुई है. लीगल सेल के प्रमुखों की औसत सालाना सैलरी इस साल 1.8-2.3 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है जो पिछले साल 90 लाख से 1.3 करोड़ हुआ करती थी.
विदेशी कानूनी फर्मों के भारत में आने से सैलरी का ग्राफ भी काफी ऊपर चला गया है. कैंपस रिक्रूटमेंट में ऑफर की जाने वाली सैलरी भी 10 से 15 फीसदी बढ़ी है. जिनके पास 3 से 8 साल का अनुभव है, उनके मामलों में तो यह बढ़ोत्तरी 35 से 100 फीसदी के बीच हुई है. लीगल सेल के प्रमुखों की औसत सालाना सैलरी इस साल 1.8-2.3 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है जो पिछले साल 90 लाख से 1.3 करोड़ हुआ करती थी.
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